सहिष्णुता का सन्देश
मै जैन मत का अनुयायी नहीं हूँ। मै सिख या मुस्लमान भी नहीं हूँ। मै एक साधारण सनातनी हिन्दू हूँ; किन्तु मुझे गर्व है की , मै सिखो के प्रथम श्री गुरु नानक देव जी का वंशज हूँ। भारत के सभी धर्मो और सम्प्रदायों में से जैन और बौद्ध सर्वाधिक सहिष्णु है; यह सर्वमान्य सत्य है।
आचार्य महाप्रज्ञ स्वयं सहिष्णुता का शाश्वत सन्देश थे। भारत धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है । अर्थात राज्य का कोई धर्म नहीं है। राज्य की दृष्टि में सभी धर्म और सम्प्रदाय सामान है। दूसरो की बात धैर्य पूर्वक सुन कर ; मनन करना; अपने अवगुण देखना; दूसरो के गुण देखना । सब का कल्याण सोचना ही सभी धर्मो का सार है। हमारे सभी महापुरुष इसी मार्ग पर चले है। ईसा मसीह, हज़रत मुहम्मद साहब; भागवान बुद्ध ; भगवान महावीर , गुरुनानक; तुलसीदास; कबीरजी; भक्त रविदास; शेक्ख फरीद; बुल्लेशाह; महात्मा गाँधी; खान अब्दुल गफ्फार खान गाँधी; विनोबा भावे मदर टेरेसा; इन सब का नाम लेते ही हमारे सर अपने आप श्रद्धा से झुक जाते है। यहाँ तक की, अकबर की सफलता में भी धार्मिक सहिष्णुता का मुख्य योगदान रहा है. फिर क्यों हम आज साम्प्रदायिक उन्माद की आग में अपने पूर्वजो और उनकी शिक्षायो को जला रहे है. भूल कर हम जरा सी बात का बतंगड़ बना कर वहशी बन जाते है?
वर्ष २००७ से शुरू हुआ डेरा सच्चा सौदा और सिखो का अनावश्यक विवाद केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से अधिक क्या है ? न केवल समूचा पंजाब अपितु राजस्थान के श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले भी हर रविवार को पुलिस और प्रशासन के लिए सरदर्द बन जाते है। सारे धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए लाखो सुरक्षा कर्मी लगाए जाते है।
स्वयंभू अवतार धर्म की दृढ़ता और पवित्रता नष्ट नहीं कर सकते. धर्मं जोड़ता है ; तोड़ता नहीं है। जो तोड़ता है वह निश्चित रूप से अधार्मिक ही है। धर्म त्याग का नाम है; लालसा का नहीं। धर्म प्रेम है; घृणा नहीं। धर्म पालन है ; उजाड़ना नहीं। धर्म मंथन है; विरोध नहीं। धर्म विवेक है , मूढ़ता नहीं.
श्री गुरु नानक देव जी ने तो नम्रता को प्रमुखता दी है , और कहा है -
नानक नीवां जो चले; लगे न , तत्ति व़ा
मै जैन मत का अनुयायी नहीं हूँ। मै सिख या मुस्लमान भी नहीं हूँ। मै एक साधारण सनातनी हिन्दू हूँ; किन्तु मुझे गर्व है की , मै सिखो के प्रथम श्री गुरु नानक देव जी का वंशज हूँ। भारत के सभी धर्मो और सम्प्रदायों में से जैन और बौद्ध सर्वाधिक सहिष्णु है; यह सर्वमान्य सत्य है।
आचार्य महाप्रज्ञ स्वयं सहिष्णुता का शाश्वत सन्देश थे। भारत धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है । अर्थात राज्य का कोई धर्म नहीं है। राज्य की दृष्टि में सभी धर्म और सम्प्रदाय सामान है। दूसरो की बात धैर्य पूर्वक सुन कर ; मनन करना; अपने अवगुण देखना; दूसरो के गुण देखना । सब का कल्याण सोचना ही सभी धर्मो का सार है। हमारे सभी महापुरुष इसी मार्ग पर चले है। ईसा मसीह, हज़रत मुहम्मद साहब; भागवान बुद्ध ; भगवान महावीर , गुरुनानक; तुलसीदास; कबीरजी; भक्त रविदास; शेक्ख फरीद; बुल्लेशाह; महात्मा गाँधी; खान अब्दुल गफ्फार खान गाँधी; विनोबा भावे मदर टेरेसा; इन सब का नाम लेते ही हमारे सर अपने आप श्रद्धा से झुक जाते है। यहाँ तक की, अकबर की सफलता में भी धार्मिक सहिष्णुता का मुख्य योगदान रहा है. फिर क्यों हम आज साम्प्रदायिक उन्माद की आग में अपने पूर्वजो और उनकी शिक्षायो को जला रहे है. भूल कर हम जरा सी बात का बतंगड़ बना कर वहशी बन जाते है?
वर्ष २००७ से शुरू हुआ डेरा सच्चा सौदा और सिखो का अनावश्यक विवाद केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से अधिक क्या है ? न केवल समूचा पंजाब अपितु राजस्थान के श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले भी हर रविवार को पुलिस और प्रशासन के लिए सरदर्द बन जाते है। सारे धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए लाखो सुरक्षा कर्मी लगाए जाते है।
स्वयंभू अवतार धर्म की दृढ़ता और पवित्रता नष्ट नहीं कर सकते. धर्मं जोड़ता है ; तोड़ता नहीं है। जो तोड़ता है वह निश्चित रूप से अधार्मिक ही है। धर्म त्याग का नाम है; लालसा का नहीं। धर्म प्रेम है; घृणा नहीं। धर्म पालन है ; उजाड़ना नहीं। धर्म मंथन है; विरोध नहीं। धर्म विवेक है , मूढ़ता नहीं.
श्री गुरु नानक देव जी ने तो नम्रता को प्रमुखता दी है , और कहा है -
नानक नीवां जो चले; लगे न , तत्ति व़ा
आचार्य महाप्रज्ञ के प्रति सच्ची श्रधांजली यही है की हम उनके बताये मार्ग पर चलने का प्रयास करे ; और अनावश्यक विवादों को छोड़ कर सचे मन से अपने अपने ईष्ट का स्मरण करते हुए मानवता की बात करे।
सर्वे भवन्तु सुखिन ; सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यतु, मा कश्चित् दुःख भागभवेत ।
धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो
प्राणियों में सद्भाव हो ; विश्व का कल्याण हो।
4 comments:
sir,
this blog is realy secular. But i think every body know about it.what due to there selfisness or political ground they refuse this thought.
But it is realy good to all of us to follow.
Dear Sir I am Ardent suppoter of this communal harmoney. I like it very much and i really appriciate your straitforward way of speaking about this topic.Keep it up -
Your's -
Paramjeet Singh
DIA, NIC,
Sri Ganganagar
Dear Sir I am Ardent suppoter of this communal harmoney. I like it very much and i really appriciate your straitforward way of speaking about this topic.Keep it up -
Your's -
damodar sen l.d.c. from (samadhan)collectrate campus nagaur
dear sir
like it very much and i really appriciate your straitforward way of speaking about this sir,
Post a Comment